लेखनी कहानी -09-Jul-2023 घर जवांई थानेदार
घर जवांई थानेदार
डोर बैल लगातार बज रही थी। ज्योति जल्दी से उठकर दरवाजे पर गयी और दरवाजा खोला।
"दरवाजा खोलने में इतनी देर कैसे लगा दी? तुझे पता है मैं यहाँ कितनी देर से खडा़ हुआ बैल बजा रहा हूँ? क्या घोड़े बेचकर सोरही थी ?" धर्मपाल ने पूछा।
"मिस्टर थोड़ा नीची आवाज में बात करना सीख लो यह थाना नहीं है। यह मेरा घर है ?" ज्योति धर्म पाल को डांटते हुए बोली।
" तेरा घर ? यह तू क्या बक रही है ?" वह नशे के कारण हिलता हुआ बोला।
"मिस्टर थानेदार साहब तुम थानेदार बाद में हो पहले इस घर के घर जवांई हो। यहाँ थानेदार वाला रौब चलने वाला नहीं है। अब अंदर आना है तो आजाओ नहीं मैं दरवाजा बन्द कर रही हूँ आजकी रात थाने की हवालात मै ही बिता लेना ?" ज्योति ने गेट को बन्द करते हुए बोला।
धर्म पालन अपनी पत्नी की आदत को जानता था कि उसने एक बार दरवाजा बन्द कर लिया तब उसे थानेदार जाकर ही सोना होगा। इसलिए वह जल्दी अन्दर आ गया।
जब धर्म पाल की शादी तय हुई थी तब वह थानेदार नहीं था तब वह एक अदना सा सिपाही था।उस समय यह तय हुआ था कि उसे घर जवांई बनकर रहना होगा। उस समय वह इस बात काविरोध नहीं कर सका था क्योंकि कि वह ज्योति से प्यार करता था परन्तु ज्योति उसे प्यार नही करती थी।
ज्योति किसी दूसरे से प्यार करती थी। ज्योति के पापा की एक ही शर्त थी कि जो मेरा घर जवांई बनकर मेरे घर रहेगा मैं ज्योति की शादी उसीसे करूँगा।।
उस समय कैसे भी ज्योति को पाने के लिए धर्म पाल इस शर्त को मानने के लिए तैयार होगया।क्यौकि उस समय उसको केवल ज्योति ही नजर आ रही थी।जबकि धर्म पाल के माता पिता इसके लिए सहमत नहीं थे। धर्म पाल ज्योति से शादी करके अपना घर छोड़ कर घर जवांई बनकर ज्योति के घर आगया।
धर्म पाल के पिता ने उसको अपनी सभी चल अचल सम्पत्तियों से बेदखल कर दिया। धर्म पालणको कुछ समय ही बीता कि उसको घर जवांई का भूत उतर गया। लेकिन तब तक बहुत देर होचुकी थी। उसकी पत्नी व सास उसको हमेशा किसी न किसी बहाने से उसको यह अहसास दिलाती रहती कि तू इस घर का घर जवांई है।
जब वह थानेदार बन गया तब भी घर आने पर उसको यही महसूस होता कि वह केवल बाहर ही थानेदार है घर में तो आज भी घर जवांई ही है।
धर्म पाल का तबादला होता ही रहता था परन्तु ज्योति आजतक उसके साथ नहीं गयी थी। अब उसका ट्रांसफर उसके होम टाउन में ही होगया था। अब वह जब भी शराब पीकर आता तब उसे बहुत अपमानित किया जाता था।
आज धर्म पाल की समझ में आगया था कि उसका घर जवांई बनने का निर्णय बिल्कुल गलत था।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Varsha_Upadhyay
09-Jul-2023 11:03 PM
बहुत खूब
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Alka jain
09-Jul-2023 07:43 PM
Nice 👍🏼
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Mohammed urooj khan
09-Jul-2023 06:06 PM
👌👌👌
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